28 मार्च 2025 को म्यांमार और थाईलैंड में आए भीषण भूकंप ने व्यापक विनाश और दहशत फैला दी। रिक्टर पैमाने पर 7.7 तीव्रता के इस भूकंप का केंद्र म्यांमार के सगाइंग क्षेत्र में था, जिससे दोनों देशों में अरबों डॉलर की क्षति हुई और बुनियादी ढांचा नष्ट हो गया।
म्यांमार में तबाही का मंजर
म्यांमार में भूकंप से 144 लोगों की मौत हो गई और 732 से अधिक लोग घायल हुए हैं। मांडले शहर में इरावदी नदी पर बना 90 साल पुराना पुल ढह गया, जिससे यातायात बाधित हुआ। राजधानी नेपीता में सड़कों पर दरारें आ गईं और कई इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं। मांडले विश्वविद्यालय में आग लगने की घटनाएं भी सामने आई हैं।
थाईलैंड में भूकंप का असर
थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए, जहां एक निर्माणाधीन 30 मंजिला इमारत ढह गई। इस हादसे में कम से कम 8 लोगों की मौत हुई और दर्जनों लोग मलबे में फंसे हुए हैं। बचाव कार्य जारी है और बैंकॉक को आपदा क्षेत्र घोषित किया गया है।
अन्य देशों पर प्रभाव
भूकंप के झटके भारत, बांग्लादेश, वियतनाम और चीन तक महसूस किए गए। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों मेघालय, असम, त्रिपुरा, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम में 4 से 5 तीव्रता के भूकंप दर्ज किए गए। वियतनाम के हनोई और हो ची मिन्ह शहरों में भी तेज झटके महसूस किए गए।
अस्पतालों में आपात स्थिति
म्यांमार की राजधानी नेपीता में 1000 बिस्तरों वाले अस्पताल के बाहर घायल लोगों की कतारें देखी गईं। डॉक्टर और नर्सें लगातार घायलों का इलाज कर रहे हैं, जबकि दवाइयों और खून की आपूर्ति बढ़ाने के आदेश दिए गए हैं।
सरकारी प्रतिक्रिया और अंतर्राष्ट्रीय सहायता
म्यांमार की सैन्य सरकार ने छह क्षेत्रों में आपातकाल घोषित किया है और अंतर्राष्ट्रीय सहायता की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र ने राहत कार्यों के लिए 5 मिलियन डॉलर आवंटित किए हैं। चीन और रूस ने बचाव दल भेजे हैं, जबकि अन्य देशों ने भी सहायता की पेशकश की है।
भूकंप का भूगर्भीय कारण
म्यांमार सागाइंग फॉल्ट के पास स्थित है, जो देश के मध्य से होकर गुजरता है। इस क्षेत्र में 1930 से 1956 के बीच 7 तीव्रता के 6 भूकंप आ चुके हैं, जिससे यह क्षेत्र भूकंप के लिए संवेदनशील माना जाता है।
बचाव और पुनर्निर्माण की चुनौतियाँ
भूकंप के बाद बचाव कार्यों में बाधाएं आ रही हैं, क्योंकि कई सड़कें और पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं। मलबे में फंसे लोगों को निकालने के लिए बचाव दल लगातार प्रयास कर रहे हैं। पुनर्निर्माण के लिए अरबों डॉलर की आवश्यकता होगी और यह प्रक्रिया लंबी और चुनौतीपूर्ण होगी।
नागरिकों की प्रतिक्रिया
भूकंप के बाद लोग दहशत में अपने घरों से बाहर निकल आए और सुरक्षित स्थानों की तलाश करने लगे। सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो और तस्वीरों में इमारतों के गिरने और लोगों के चीखने-चिल्लाने के दृश्य देखे जा सकते हैं। स्थानीय समुदाय एक-दूसरे की मदद करने में जुटे हुए हैं और राहत कार्यों में सहयोग कर रहे हैं।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
भूकंप से म्यांमार और थाईलैंड की अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। बुनियादी ढांचे की क्षति से व्यापार और उद्योग प्रभावित हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पुनर्निर्माण और मरम्मत के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता होगी, जिससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा।
भविष्य की तैयारी और सतर्कता
इस आपदा ने भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रति तैयारी और सतर्कता की आवश्यकता को उजागर किया है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि इमारतों को भूकंपरोधी तकनीकों से बनाया जाए और आपदा प्रबंधन योजनाओं को मजबूत किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।
निष्कर्ष
म्यांमार और थाईलैंड में आए इस भीषण भूकंप ने व्यापक विनाश और मानवीय संकट को जन्म दिया है। बचाव और राहत कार्य जारी हैं, लेकिन प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्निर्माण और सामान्य स्थिति बहाल करने में समय लगेगा। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की सहायता और स्थानीय लोगों के सहयोग से इस आपदा से उबरने की कोशिशें की जा रही हैं।